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नई दिल्ली--परीक्षा जिंदगी का एक पड़ाव है, अंत नही-
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नई दिल्ली--परीक्षा जिंदगी का एक पड़ाव है, अंत नही-
नई दिल्ली-परीक्षा जिंदगी का एक हिस्सा है। इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। बच्चों को इसका सामना करना चाहिए। परीक्षा तो जिंदगी भर चलती रहेगी। शिक्षकों और अभिभावको का यह परम कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों अर्थात विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करें। उन्हें उनके सपने पूरे करने दें न कि अपने सपनों को उन पर लाद दें। परीक्षा एक पड़ाव है, अत नहीं। इससे डरने की आवश्यकता नहीं है।
कोरोना के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने की दिशा में आज जब मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में लाॅकडाउन की घोषणा की जा रही थी उसी वक्त वक्त करीब 40 मिनट तक प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने देश के कई स्कूलो के विद्यार्थियों, अभिभावकों एवं शिक्षकों से अपने निर्धारित कार्यक्रम ’’परीक्षा पे चर्चा’’ के तहत बातचीत की। बच्चों, अभिभावकों तथा शिक्षकों ने अपने मन की बात प्रधानमंत्री के साथ साझा की और पूरे प्रफुल्लित भाव के साथ प्रधानमंत्री ने सभी प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में सटीक तरह से दिये। इस कार्यक्रम के लिए देशभर से करीब 13 लाख से अधिक प्रविष्टियां पीएमओ को प्राप्त हुई थी। यह कार्यक्रम बच्चों के साथ ही अभिभावकों और शिक्षकों के मस्तिष्क में कोरोना की दहशत को खत्म करने की दिशा में एक प्रयास भी था।
हाथ में लेपटाप लिए अपने आवास के बगीचे में टेबिल के समक्ष खड़े होकर श्री मोदी ने इस वार्तालाप की शुरूआत कोरोना से ही और कहा कि बच्चों को इस कोरोनाकाल में घबराने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने आश्वस्त किया कि उनका यह साल बेकार नहीं जाएगा, हम ब्रेक नहीं लेने देंगे।
संवाद की शुरूआत में ही पहले ही विद्यार्थी ने प्रधानमंत्री से प्रश्न किया कि जब परीक्षा का समय आता है तो मानसिक तनाव उत्पन्न हो जाता है। प्रधानमंत्रीजी.......! इसका क्या किया जाए? इस प्रश्न पर श्री मोदी मुस्कुराये और कहा कि परीक्षाएं हर साल मार्च और अप्रैल के महीने में होती हैं। यह बात सभी को पता होती है। इस परीक्षा की तैयारी लगातार करते रहना चाहिए। विद्यार्थी को उन प्रश्नों को पहले करना चाहिए जो कि कठिन होते हैं। कठिन प्रश्नों पर अपना ध्यान दें और उन्हें पहले हल करें। उन्होंने कहा कि अमूमन अभिभावक और शिक्षक उन प्रश्नों को पहले करने की सलाह दते हैं तो जो कि आसान होते हैं। इसी प्रकार तनाव कतई भी पैदा नहीं होना चाहिए मानस पर। अगर तैयारी पहले ही से होती है तो तनाव नहीं होता है, परीक्षा अचानक तो आती नहीं है.....?
श्री मोदी ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि पहले माता-पिता अपने बच्चों के साथ परीक्षा की तैयारियां करवाते थे। लेकिन अब उनके पास समय नहीं है। लेकिन मेरा सुझाव यही है कि माता-पिता को इस दिशा में बच्चों के लिए समय निकालना होगा। बच्चों में आत्मविश्वास भरना होगा। आत्मविश्वास से भरपूर बच्चे पर कभी भी तनाव हावी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि परीक्षा लम्बी जिंदगी का एक हिस्सा है। इसे एक अवसर के रूप में लेना चाहिए। परीक्षा से भागने की आवश्यकता नही है।
खाली समय की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हर विद्यार्थी को अपने शिक्षण के समय कुछ वक्त ’’खाली समय’’ रखना चाहिए। इस खाली समय एक ’’खजाने’’ की तरह है और इसका उपयोग किया जाए। यह अवसर होता है चिंतन-मनन का। अगर इसका उपयोग नहीं किया गया तो रोबोट की तरह जिंदगी हो जाती है। इसी प्रकार से जीवन में जिज्ञासा को भी महत्व देने की आवश्यकता है। जो विषय कठिन है उसके प्रति जिज्ञासा पैदा की जाए। खाली समय में उस विषय पर मनन होना चाहिए। खाली समय का आनद लिया जाना चाहिए।
पारावारिक वातावरण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि परिवार से ही बच्चों में गुण आते हैं। अधिकांश लोग अपने घरों में काम करने वाली बाईयों को किसी उत्सव के मौके पर ताकीद कर देतें हैं कि कल घर में बच्चे का बर्थडे है.......या फलाना कार्यक्रम है। समय पर आ जाना और काम निपटाना है की ताकीद करते हैं। लेकिन ’’कामवाली’’ को कभी यह नहीं कहते कि काम निपटाने के बाद तुम भी तैयार हो जाना और बर्थडे में हिस्सा लेना। अगर हम घरेलू कार्य करने वाली ’’ बाई ’’ के प्रति भेदभाव का भाव अपने घर से ही बच्चों में पैदा कर देते हैं। बच्चों में गुणों का समावेश परिवार से ही आता है। हर बच्चे को समय और सांस्कृतिक मूल्य देना आज के वक्त की आवश्यकता है।(updated on April 7th, 2021)
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